मेहंदी भी नहीं सूखी थी कि आई पति के शहीद होने की खबर, ऐसे दी विदाई...
- पत्नी के हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी कि आई पति के शहीद होने की खबर, ऐसे दी विदाई
- बर्थडे पर शहीद हुआ आर्मी का जवान, नवविवाहिता ने चिता पर दी विदाई
राजस्थान । भरतपुर के रहने वाले 22 साल के सौरभ कटारा आर्मी की 28वीं राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे और उनकी ड्यूटी जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में थी जहां मंगलवार रात को बम ब्लास्ट में वह शहीद हो गए. शहीद सौरभ कटारा की शादी इसी साल 8 दिसंबर को ही हुई थी. शादी के बाद वह 16 दिसंबर को वापस अपनी ड्यूटी के लिए कुपवाड़ा चले गए थे. बर्थडे पर नई-नवेली पत्नी अपने पति को विश करना चाहती थी, उसी दिन शहीद होने की खबर आ गई.
शहीद सौरभ कटारा का बुधवार को जन्मदिन भी था. शहीद के परिजन और नवविवाहिता पत्नी जन्मदिन मनाने की तैयारी कर ही रहे थे कि इतने में उनको खबर मिली कि सौरभ बम ब्लास्ट में शहीद हो गए जिसके बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ सा टूट गया था.
शहीद सौरभ कटारा को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा और हजारों लोगों ने नम आखों से शहीद को अंतिम विदाई दी. साथ ही इस मौके पर शहीद की नवविवाहिता पत्नी पूनम देवी का रो-रोकर बुरा हाल था. वह भी अपने शहीद पति को अंतिम विदाई देने के लिए श्मशान तक पहुंची. वहीं, शहीद के पिता नरेश कटारा व दो भाई और मां सहित दादा व दादी का भी रो-रोकर बुरा हाल था.
शहीद की पत्नी पूनम देवी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कुछ दिन ही पहले उनका पति उनसे जल्दी आने की बात कहकर गए थे, फिर उनका शव ही वापस आया. पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल था और कई बार वह बेहोश भी हो गई लेकिन हिम्मत रखकर वह श्मशान तक अपने पति की अर्थी के साथ पहुंची और उसको अंतिम विदाई दी.
शहीद सौरभ कटारा के पिता नरेश कटारा खुद भी आर्मी में थे जो 2002 में सेवानिवृत हो गए. उन्होंने 1999 में कारगिल युद्द में भाग लिया था. साथ ही सौरभ का बड़ा भाई गौरब कटारा खेती करता है और छोटा भाई अनूप कटारा एमबीबीएस कर रहा है.
सौरभ आर्मी से छुट्टी लेकर विगत 20 नवंबर को अपनी बहन दिव्या की शादी में आया था और बाद में फिर 8 दिसंबर को उसकी खुद की शादी थी. इसलिए वह बहन और अपनी शादी करने के बाद 16 दिसंबर को वापस छुट्टी काटकर अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. सौरभ की पत्नी पूनम देवी की अभी हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी कि उनके पति के शहीद होने खबर आई.
शहीद के पिता नरेश कटारा ने बताया कि मैंने आर्मी में रहकर खुद कारगिल युद्ध लड़ा है. मुझे गर्व है कि मेरा पुत्र देश के लिए शहीद हुआ है. साथ ही में अब अपने छोटे पुत्र अनूप कटारा को भी देश सेवा के लिए आर्मी में भेजूंगा |